रूठकर गुस्से का इजहार करती हो यह सच है आज भी बेहद प्यार करती हो बेवजह हकीकत से रुख मोड़कर क्यों अपनी जिंदगी बर्बाद करती हो
अब दूर रहना मुमकिन नहीं है यादों में मन डूबा हुआ है खुलकर अपनी चाहतों का इजहार कर दो प्यार पाने को बेताब रहने लगा हूं
मेरी खामोशी सवाल करेगी जो आजकल खता करने लगे हो अब शक यकीन में बदलता जा रहा है मुझसे बेवफा रहने लगे हो
दूर भागोगे कहां तक हकीकत से रुख मोड़कर सच्चाई की डगर पर लौटकर आना पड़ेगा जिंदगी के सभी शिकवे गिले मिटाना पड़ेगा